भोर के सूरज से शुरू होती ये कहानी,
रात के अँधेरे में गुम हो जाती है,
दिन प्रतिदिन ये क्रम चलता एक दिन ज़िन्दगी ही अस्त हो जाती है!
एक आशा , एक उम्मीद जन्म लेती रोज,
कुछ पूरी हो पाती, कुछ दम तोड़ती, कुछ दबा दी जाती है,
ना जाने कितने उत्साह , उमंग और उदासी के बीच , ये ज़िन्दगी जी जाती है!
कोई रोता कोई हस्ता ,
किसी के होंठो कि मुस्कान झूठी है,
हर कोई भाग रहा रंग बदलती इस ज़िन्दगी में,
फिर भी सबकी दौड़ अधूरी है!!
किसी के होंठो कि मुस्कान झूठी है,
हर कोई भाग रहा रंग बदलती इस ज़िन्दगी में,
फिर भी सबकी दौड़ अधूरी है!!
जीवन चाह रहा हर कोई यहाँ,
पर जीना किसी को आता नही,
हर पल मर रहे लोग यहाँ,
पर मौत को कोई पाता नही.!
कल की कल्पना में उड़ान भरता हर कोई ,
पर बीते कल से कोई निकलता नही,
भविष्य क सपने ऐसे बुने कि
आज को कोई याद करता नही!!
कोई पूछे मुझसे क्या मतलब इस नैया का जो अंततः डूब जानी हैं,
क्यों कैसे जीए इस ज़िन्दगी को ,जो खुद ख़त्म हो जानी है!
उत्तर बेशक नही मेरे पास देने को कि क्यों ये कहानी वही पुरानी है?
बस दिल में एक अहसास और आँखों में विशवास है,
माना कि नही मुझे तुझ पर कोई एतबार है,
पर
कैसी भी हो ज़िंदगी मुझे तुझे से प्यार है!!
तू चाहए रास्ते को मोड़े, या होंसलो को तोड़े.
या तू चाहए लुटाना मुझ पर दुःख बार- बार है,
पर
कैसी भी हो ज़िंदगी मुझे तुझे से प्यार है!!!!!!!