Friday, September 30, 2011

दिल तू इतना रोता क्यों है



दिल तू इतना रोता क्यों है

जो चीज तेरी है नही,उसके लिए इतना तडफता क्यों है .

उमीदो के सहारे अपनी जिंदगी चलाता क्यों है ,

सच्चाई तेरे सामने है , उसे तू अपनाता क्यों नहीं है .

कल तो तू बहुत खुस था, पर आज वो ख़ुशी तेरे पास क्यों नहीं है .

कल हर लम्हा तुने जीया ,पर आज एक पल भी जीने के लिए तैयार क्यों नहीं है .

वक़्त का ये अजीब चक्र ,तेरे समझ में आता क्यों नही हँi.

कभी आसमान से भी दूर तेरे सपने पहुच जाते है ,और कभी एक पल भी सोचने का मन करता क्यों नहीं है .

कभी सागर की लहरें हिंडोले पैदा करती है , और कभी एक बूंद पानी की भी अच्छी लगाती क्यों नहीं है ,,

लाखो दिल हैं दर्द के मारे. एक तू ही इतना परेशान क्यों है ,अगर दुःख ही है तेरा आलम तो ,फिर इसे तू भूलता क्यों नहीं है .

छोटी सी है ये ज़िन्दगी , हंस के इसे जीता क्यों नही है ,

रोने ही है तो,इसे ख़तम करता क्यों नहीं है

क्यों अटक जाती हैं तेरी सांसे किसी के इजहार में ,

क्यों रुक जाता है तू ,एक नये कल के इन्तजार में

जो होना है, जब वो होकर ही रहता है ,तो ऐ दिल तू रोता क्यों है

ऐ दिल तू रोता क्यों है .??:)

Wednesday, September 28, 2011


A clue on my upcoming thoughts

Turning in to some differnt area is indeed a awesome feeling, and ovbiously i am having the same.New things, new araes have been always fascinating me, and following the path i am here to try something new this time while ofcousre maintaining the previous love as well.:P